Saturday, June 6, 2009

unknown

मिल रही हो, बड़े तपाक के साथ !
मुझको यक्सर[bilkul] भुला चुकी हो कया ?
बस मुझे, यूँही एक ख्याल आया
सोचती हो तो, सोचती हो कया ?
अब मेरी कोई जिंदगी ही नहीं
अब भी तुम, मेरी जिंदगी हो कया ?
कया कहा ! इश्क जावेदानी है ?
आखरी बार मिल रही हो कया ?
हाँ ! फजा, यहाँ की सोई सोई है
तो बहुत तेज़ रौशनी हो कया ?
मेरे सब तंज़[arrow] बेअसर ही रहे
तुम बहुत दूर जा चुकी हो कया ?
दिल में अब सोज़-ए-इंतज़ार नहीं
शम्म-ए-उम्मीद बुझ गयी हो कया ?

No comments:

Post a Comment