Saturday, June 6, 2009

unknown

जिस दिन सूरज की पहली किरण
उतारी थी जमीं पर उस दिन से
मैं तुझसेे मुहबत करता हूँ
मेरा प्यार नयी कोई बात नहीं
मेरा प्यार था सदियो पहले भी
जो तुझसे कहा है आज वही
इकरार था सदियो पहले भी
जब सबसे पहला फूल कोई
महका था चमन में उस दिन से
मैं तुझसे मुहबत करता हूँ

मैं अरश का रहने वाला था
अब दुनिया में आबाद हूँ मैं
जनत से जो निकला तेरे लिए
उस आदम की औलाद हूँ मैं
दो दिल जब दो इंसानों के
मिलकर धडके थे, उस दिन से
मैं तुझसे मुहबत करता हूँ

ये दुनिया जब तक बाकि है
मैं तेरा साथ ना छोडूगा
तेरे आँचल के इक झोंके से
रुख तूफानों के मोडूंगा
जिस दिन से वफ़ा की रसम चली
ऐ ! जाने-तमना, उस दिन से
मैं तुझसेे मुहबत करता हूँ

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