Saturday, June 6, 2009

unknown

थोड़ी सी पी शराब, थोड़ी उछाल दी
कुछ इस तरह से हमने जवानी निकाल दी ...
हमने सिया है इश्क में होंठों को इस तरह
जिस ने भी दी जहाँ में, हमारी मिसाल दी ...
अब डर नहीं, किसी का ज़माने में दोस्तों
हमने तोह दुश्मनी भी मुहब्बत में ढाल दी ...
मैं चूर हूँ नशे में, मुझको कुछ खार नहीं
मुझपे निगाहें शोख कब तुमने डाल दी ...
क्यूँ मुझको था तुम्हारे आने का इंतज़ार
'गुमनाम' मैंने मौत भी रास्ते में टाल दी ...
थोड़ी सी पी शराब, थोड़ी उछाल दी
कुछ इस तरह से हमने जवानी निकाल दी ...

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