मुझसे काफिर को तेरे इश्क ने यूँ शरमाया
दिल तुझे दे के धड़का तो खुदा याद आया
चारागर आज सितारों की क़सम खा के बता
किसने इंसान को तबस्सुम के लिए तरसाया
नजर करता रहा मैं फूल के जज्बात उससे
जिसने पत्थर के खिलोनों से मुझको बहलाया
उसके अन्दर कोई फनकार छुपा बैठा है
जानते-बुझते जिस शख्स ने धोखा खाया
Friday, June 5, 2009
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