lucknow k nawab ki shayyiri
urdu ghazals, shayari.
Monday, June 1, 2009
unknown
लज़्ज़ते ग़म बढा दीजिये
आप फिर मुसकुरा दीजिये
चाँद कब तक ग्रहण में रहे
रुख से पर्दा हटा दीजिये
मेरा दामन बोहत साफ़ है
कोई तोहमत लगा दीजिये
हम अंधेरों में कब तक रहें
फिर कोई घर जला दीजिये
एक समंदर ने आवाज़ दी
मुझको पानी पिला दीजिये
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment