lucknow k nawab ki shayyiri
urdu ghazals, shayari.
Sunday, May 31, 2009
unknown
तेरे फिराक के लम्हे शुमार करते हुये
बिखर चले है तेरा इंतज़ार करते हुये ..
मैं भी खुश हूँ कोई जा कर उससे यह कह दे
अगर वो खुश है मुझे बेकरार करते हुये ,,..
मैं मुस्कुराता हुआ आईने मैं उबरुंगा
वो रोया पड़ेगी अचानक सिंगर करते हुये
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment