lucknow k nawab ki shayyiri
urdu ghazals, shayari.
Saturday, May 30, 2009
unknown
इश्क की दास्ताँ है प्यारे
अपनी अपनी जुबां हैं प्यारे
हम ज़माने से इंतकाम तो लें
एक हसीं दरमियान है प्यारे
तू नहीं मैं हूँ, मैं नहीं तू है
अब कुछ ऐसा गुमान है प्यारे
रख कदम फूँक फूँक कर नादान
ज़र्रे ज़र्रे में जान है प्यारे
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