lucknow k nawab ki shayyiri
urdu ghazals, shayari.
Sunday, May 31, 2009
unknown
गुज़रता है मेरी हर साँस से तेरा नाम आज भी,
ढलती है तेरे इंतज़ार में मेरी हर शाम आज भी,
तुझको मुझसे रूठे एक ज़माना हो गया,
पर होती है तेरे नाम से मेरी पहचान आज भी
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment