lucknow k nawab ki shayyiri
urdu ghazals, shayari.
Saturday, May 30, 2009
unknown
दिल को ग़म-ऐ-हयात गंवारा है इन दिनों
पहले जो दर्द था वही चारा है इन दिनों
ये दिल ज़रा सा दिल तेरी यादों में खो गया
ज़र्रे को आँधियों का सहारा है इन दिनों
तुम आ सको तो शब् को बढ़ा दूँ कुछ और भी
अपने कहे में सुबहो का तारा है इन दिनों
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