lucknow k nawab ki shayyiri
urdu ghazals, shayari.
Tuesday, April 28, 2009
unknown
मेरे चेहरे से इश्क का गुमाँ होता क्यूँ है
जब आग ही नहीं तो धुआं होता होता क्यूँ है ...
चटकता है कहीं जब आइना ए-दिल किसी का
हर बार मुझी पे ही सुब्हा होता क्यूँ है ...
दिल न लगाने की यूँ तो कसम उठा रखी है
उसकी यादो में फिर भी रतजगा होता क्यूँ है ...
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