lucknow k nawab ki shayyiri
urdu ghazals, shayari.
Wednesday, March 18, 2009
तुम न मिल सके तोह क्या गम है
तुम्हारा अरमान हमें हर दम है
हमें ठुकराने का अंजाम सोचो ज़रा
तुम से हमारी दुनिया कायम है
यह किस मक़ाम पर ले आई जिन्दगी
जख्म तोह हज़ारों हैं, मरहम कम है
हमारा आशियाँ जलाकर तुम्हे रौशनी मिली
शुक्र-ऐ-खुदा, सफल मेरा जीवन है
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