बात तुमसे कुछ कही नहीं जाती
और तुम तक "अनकही" नहीं जाती
नींद में भी चल पड़े तेरे घर तक
फितरत-ए-आवारगी ....नहीं जाती
दिल्लगी की आरजू....सलामत है
यें मेरे दिल से कभी नहीं जाती
अब तेरी आँखें शराब लगती हैं
डूब कर भी तिशनगी नहीं जाती
Saturday, January 17, 2009
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