तेरे करीब आ के बड़ी उलझनों में हूँ
में दुश्मनों में हूँ के तेरे दोस्तों में हूँ..
बदला ना मेरे बाद भी मुज़ुं-ए-गुफ्तगू
में जा चुकी हूँ फिर भी तेरी महफिलों में हूँ..
मुझसे बिचड के तू भी तो रोयेगा उम्र भर
यें सोच ले के में भी तेरी ख्वाहिशो में हूँ..
तू हंस रहा है मुझ पे मेरा हाल देख कर
और फिर भी मैं शरीक तेरे कहकहों में हूँ..
Saturday, January 17, 2009
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