कुछ सई[कोशिश] से इकबाल[सौभाग्य] मयस्सर नहीं होता
हर आईना-गर दाग-ए-सिकन्दर नहीं होता
बेदाद[निष्ठुरता] तेरी देख के यें हाल हुआ है
आशिक कोई दुनिया में किसी पर नहीं होता
हम जानते हैं आते हैं मातम को फ़रिश्ते
जिस बज्म में शग़ल-ए-मय-ओ-सागर[शराब पीना] नहीं होता
Saturday, April 25, 2009
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