तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है
तेरे आगे चाँद पुराना लगता है
तिरछे तिरछे तीर नज़र के लगते हैं
सीधा सीधा दिल पे निशाना लगता है
आग का कया है पल दो पल में लगती है
बुझते बुझते एक ज़माना लगता है
सच तो यें है फूल का दिल भी छलनी है
हँसता चेहरा एक बहाना लगता है
Sunday, January 18, 2009
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