इस तरह हर गम भुलाया कीजिये
रोज़ महखाने में आया कीजिये
छोड़ भी दीजिये तकल्लुफ शेख जी
जब भी आयें पी के जाया कीजिये
जिंदगी भर फिर ना उतेरेगा नशा
इन शराबों में नहाया कीजिये
ऐ ! हसीनों यें गुजारिश है मेरी
अपने हाथों से पिलाया कीजिये
Saturday, January 17, 2009
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