बात बस से निकल चली है
दिल की हालत संभल चली है
अब जुनूं हद से बढ़ चला है
अब तबियत बेहाल चली है
अश्क खुनाब[लहू का रंग]हो चले है
गम की रंगत बदल चली है
लाख पैगाम हो गए है
जब सबा इक पल चली है
जाओ, अब सो रहो सितारों
दर्द की रात ढल चली है
Monday, December 22, 2008
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