कैसे कह दूँ की मुलाकात नहीं होती
रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती
आप लिलाह न देखा करें आईना कभी
दिल का आ जाना कोई बड़ी बात नहीं होती
छुप के रोता हूँ तेरी याद में दुनिया भर से
कब मेरी आँख से बरसात नहीं होती
हाल-ऐ-दिल पूछने वाले तेरी दुनिया में कभी
दिन तो होता है मगर रात नहीं होती
जब भी मिलते हैं तो कह्ते है, 'कैसे हो "शकील"'
इस से आगे तोह कोई बात नहीं होती
Sunday, May 31, 2009
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