जिन्दगी जब भी तेरी बज्म में लाती है
ये जमी चाँद से बेहतर नजर आती है हमे
सूर्ख फूलों से महक उठती हैं दिल की राहे
दिन ढले यूं तेरी आवाज बुलाती हैं हमे
याद तेरी कभी दस्तक, कभी सरगोश से
रात के पिछले पहर रोज जगाती हैं हमे
हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यों है
अब तो हर वक्त यही बात सताती हैं हमे
Tuesday, March 31, 2009
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