अपना गम ले के कहीं और ना जाया जाये
घर में बिखरी हुई चीजों को सजाया जाये
जिन चिरागों को हवाओं का कोई खौफ नहीं
उन चिरागों को हवाओं से बचाया जाये
बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते हैं
किसी तितली को ना फूलों से उदय जाये
खुदकुशी करने की हिम्मत नहीं होती सब में
और कुछ दिन यूँ ही औरों को सताया जाये
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ करें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये
Saturday, January 17, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment