इश्क की दास्ताँ है प्यारे
अपनी अपनी जुबान हैं प्यारे
हम ज़माने से इंतकाम तो लें
एक हसीं दरमियान है प्यारे
तो नहीं मैं हूँ, मैं नहीं तू है
अब कुछ ऐसा गुमान है प्यारे
रख कदम फूं फूँक कर नादान
ज़र्रे ज़र्रे में जान है प्यारे
Saturday, January 17, 2009
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