बड़ा दुश्वार होता है
ज़रा सा फैसला करना
के जीवन की कहानी को
कहाँ से याद रखना है
कहाँ से भूल जाना है
किसे कितना बताना है
किस से कितना छुपाना है
कहाँ रो रो के हसना है
कहाँ हस हस के रोना है
कहाँ आवाज़ देनी है
कहाँ खामोश रहना है
कहाँ रस्ता बदलना है
कहाँ साथ लौट जाना है
बड़ा दुश्वार होता है
ज़रा सा फैसला करना ...
Saturday, January 17, 2009
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